Tuesday, April 16, 2013

ईश्वर और शगुन ,अपशगुन

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ईश्वर और शगुन ,अपशगुन
हम सभी ने अपने  जीवन में शगुन और अपशगुन शब्दों को सुना ही होगा क्या इन शगुन और अप्शागुनो का ईश्वर  से कोई रिश्ता है ?
शगुन और अपशगुन के घटित होने  पर  हम डर  जाते है क्यों और क्या है इनका मतलब !
और इश्वर शगुन के होने  पर खुश और अपशगुन के होने  पर हमारे कार्य बिगड़ देती है जैसा की हम  सोचते है /
पहला की अगर शगुन के होने  पर हम खुश होते  है और और अपशगुन के होने  पर " हे इश्वर  ये क्या कर दिया"  " जैसा शब्द  है तो क्यों !दूसरा की जब हमरे सारे कर्मो का फल ईश्वर  ही देता है तो शगुन और  के घटित होने  पर भी तो फल इश्वर ही देगा/
क्या वास्तव में शगुन और अपशगुन का हमारे  जीवन के साथ   कोई रिश्ता है या फिर कुछ और !
पहले कुछ प्रचलित अपशगुन के बारे में बात करते है क्योंकि उनसे ही हमे भय रहता है /
:-बिल्ली का रास्ता काटना
:- ,शीशे का टूटना ,
-छिक आना,
:- खाली  बाल्टी 
ऐसे ही कई  सारे अपशगुन हैं जिनके घटित होने  पर हम डर  जाते है और अक्सर हमारे  काम बिगड़ जाया करते है कहा से शुरू हुये  अपशगुन और इनका वास्तविक जीवन से क्या अर्थ है आइये जानते है /
:- बिल्ली का रास्ता  काटना ---बिल्ली के रास्ता  काट  देने से यानि किसी जरुरी काम  से निकलते वक्त बिल्ली अगर रास्ता काट जाय  तो जिस काम के लिए हम जा रहे है मान  लीजिये की वो नहीं होगा /
क्या बिल्ली रास्ता काट कर ये बताने आई थी की आपके द्वारा की गई पूरी  मेहनत मैने  रास्ता काट कर बेकार कर दी ! या फिर हमने खुद ही समझ लिया की बिल्ली के  रास्ता काटने के बाद हम जिस काम के लिए  जा रहे थे अब वो नहीं होगा /
क्या ये सही है नहीं लेकिन हमारे  पूर्वजो ने जो कहा वो भी तो गलत नहीं होगा क्या उनका अंध विश्वास था या कुछ और जो उन्होने ऐसा  बताया ! आज की पीड़ी ऐसा  नहीं मानती वो इन सब शगुन अपशगुन को कोरी बकवास मानती है और उनके घटित होने   और होने  से जरा से भी विचलित नहीं  होते  है / क्या आज की पीड़ी का ये सोचना सही है ! क्या नई  पीड़ी  सही है या फिर हमारे  पूर्वज ! गर बात पूर्वजो की करे तो इसे 25  उदाहरन दे देंगे की  हमारे पास जवाब ही नहीं होगा / लेकिन उसके उल्टा आज की  पीड़ी भी 50  उदहारण देकर हमे चुप कर सकती है / लेकिन ज्यादा सही हमारे  पूर्वज थे क्योंकि बडे यानि पूर्वज कोई भी बात बेकार में नहीं कहते और आज की पीड़ी भी इस युग में इसे अन्धविश्वास  को नहीं मानती उसको लॉजिक   चाहिए  नहीं तो वो मानेंगे ही नहीं / पूर्वजो ने कहा की बिल्ली अगर रास्ता काटे  तो रुके और बिल्ली को निकल जाने दे जिसके बाद आप अपने काम पर जाय  / लेकिन समय के साथ घटित घटनाओ  और लोगो ने इसमे कई  बाते जोड़ कर इसको एक अन्धविश्वास का रूप दे दिया या यु कहे की सीधी बात जिसने नहीं मानी होगी उसको उलटी तरह से समझाया गया होगा और तब से ऐसा  होने लगा / पूर्वजो का मत था की बिल्ली जो घर  में एक छोटा और पालतू जानवर है वो गावो जो अब शहर  और गावो दोनों है में हमेशा बिल्ली एक घर से दुसरे घर और एक मकान  से दुसरे मकान  को जाती है ./ और इसे में अगर बिल्ली के एक घर से दुसरे घर में जाते समय ( रास्ता काटते  समय ) गर हम निकल रहे है तो हो सकता है अन्धेरे  में या हमारे द्वारा  वाहन  से या पैरो के नीचे दब कर वो चुटहिल हो जाय  या उसकी मौत हो जाय  तो एक जीव  हत्या लगेगी और मरने वाले की आत्मा से  आह  भी / जो हमारे  कर्मो को प्रभावित कर सकती है / तो ऐसा   हो की हमारी  वजह से कोई जीव  हत्या हो या उस जीव  को कोई नुकसान पहुचे इसलिए हमारे  पूर्वजो ने बिल्ली के निकलने पर रुक जाने को कहा /
 आज इस पीड़ी  ये तो मान लिया की बिल्ली के रास्ता कटने से कुछ नहीं होता लेकिन ये नहीं सोच की क्यों / ये सही है लेकिन अगर बिल्ली रास्ता काट  रही है मतलब निकल रही है तो उसको निकल जाने दे फिर हम अपने निकलए कोई काम  नहीं बिगडेगा बल्कि हम ये सोचे की हमने की जीव  को मरने से बचा लिया अब तो हमारा काम निश्चित ही होगा /इस लिए बिल्ली के निकलने पर घबराय नहीं नकारात्मक उर्जा मत ले और सकारात्मक उर्जा के साथ  चले काम अवश्य ही होगा /
इसलिए हमारे पूर्वज  भी सही है और हमारी नई पीडी भी /
जय शिव ॐ  
:- ,शीशे का टूटना ,शीशे का टूटना भी एक प्रचलित अप्शागुनो में गिना जाता है /क्या शीशे के टूटने से वाकई में काम बनते और बिगडते है अगर हा तो शीशे का व्यापार  करने वाला का  व्यापर तो चालू होते ही बंद हो जाय /अगर उस पर भी लोग ये कहे की वो जान भुझ कर तोड़ता है इसलिए तो शीशे की दुकान में अनजाने में भी तो शीशे टूट जाते होंगे / लेकिन ये कहा लिखा था की शीशे के व्यापारियों पर ये अपशगुन काम नहीं करेगा /
इसका लॉजिक हमारे पूर्वजो का ये था की अगर शीशे की टूटने का की, शीशे की टूटने पर इतनी महीन कण हो जाते है जो हमारे पावो में चुभ कर घाव कर देते है और कभी कभी ये बडे मर्ज़ के रूप में भी सामने आते है / नहीं तो खून तो निकल ही देता है छोटा सा टुकड़ा / अगर हम शीशे के प्रति लापरवाह हो जायेंगे तो अक्सर हमे चोट लग सकती है तो  हमारे  पूर्वजो ने शीशे को संभाल  कर रखने की सलाह दी और समय और घटित घटनाओ के आधार  पर शीशे  का टूटना भी अपशगुन बन गया फिर रही बात शीशे का व्यापर करने वालो की तो वो इतनी सावधानी  बरतते है की उन्हे चोट नहीं लगा करती / इसलिए शीशे को संभाल  कर रखे नाकि उसके प्रति बेपरवाह हो जाय  / 
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जय शिव ॐ  
-छिक आना:-  जब भी हम किसी काम से जा ररही हो और हम छिके या कोई और अपशगुन मान लिया जाता है /इसमे भी पूर्वजो का लॉजिक हुई जिसको लोगो ने पशागुन बना दिया /जब भी चिक आती है हम कुछ सेकेंड्स के लिए रुक से जाते है / यानि हमरी साडी क्रियाये रुक जाती है / तब्जी तो आँख खोल कर आज तक कोई छिक नहीं पाया /दिल की धड़कन भी रुक जाती है //अब चिक आने के पर ही सकता है कुछ समस्या उत्त्पन्न हो जाय इसलिए पूर्वजो ने कहा की छिक आने पर थोड़ी देर रुक जाना चहिये और फिर पानी पि कर निकल जाना चाहिए / छिक हमे आय या कसी और को रुकना होता है अब अगर किसी और को छिक आई है और लोग वह पर मौजूद है तो हम बड़ो की बात मन कर पानी पिए और निकल जाय ये मत सोचे की अब तो हमरा काम होगा ही नहीं /क्योंकि बड़ो का कहना मानेंगे तो उन्हे ख़ुशी मिलेगी और उनकी ख़ुशी से हमये ख़ुशी और हमारा काम ज्यादा अच्छे से होगा / अगर हम बहस में पद जाय की माँ छिकनी से कुछ नहीं होता मैं तो जा रहा हु तो जब हम माँ को नाराज़ कर के और अपना मूड ख़राब कर के जा रहे है तो काम हो सकता है बिगड़ जाय इसमे छिकनी वाले का क्या दोष /
अब गर चिकनी से काम बिगडते है तो डाक्टर ने दूकान खोली और पहला मरीज़ ने आते ही छिक दिया डाक्टर अब तो पूरे दिन का सत्यानाश ..... नहीं एस नहीं होगा ... ये हमरे मन का अंध विश्वाश है ससे हमे निकलना होगा लोगिक की सहारे और हां हम अपने बड़ो को उतना नहीं समझा सकते है हा लेकिन आने वाली पीडी को तो समझा सकते है /
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जय शिव ॐ  







 ० ४ खाली बाल्टी  :- खाली बाल्टी का अपशगुन में काफी ज्यादा माने  जाने वाला अपशगुन है इस अपशगुन की वजह से काफी बार पड़ोसियों में लड़ाई तक हो जाया करती है ,की अक्सर मेरे काम पर जाते वक्त फला व्यक्ति अक्सर खाली  बाल्टी रख देता है /लेकिन क्या वास्तव में खाली  बाल्टी से कुछ होता है या हमारे पूर्वजो ने हम ऐसे  ही कह दिया / अगर खाली बाल्टी से कुछ होता तो बाल्टी बनाने वाले कारखाने के बारे में आप क्या कह्नेगे जाने कितने मजदूर और मालिक सुबह सुबह खाली   बाल्टी ही देख कर काम चालू करते है और बाल्टी बेचने वाला ?
यानि ये भी अपशगुन अन्धविश्वाश है लेकिन फिर हमारे पूर्वजो का लॉजिक क्या था इसके पीछे आइये जानते है 
पहले के समय में यानि गावों में एक रिवाज़ या प्रथा थी की सभी  अपने घर के बाहर   भरी हुई एक बाल्टी रखते थे इसके दो कारन थे एक तो कोई जानवर या अजनबी  जो प्यासा है वो आपके दरवाज़े से यानि आपके घर से प्यासा नहीं जायेगा दूसरा की उस समय पर कुए और तलाब ही हुआ करते थे /अब ये समय और घटित घटनाओ जैसा की मैं हमेशा कहता हु के आधार  पर लोगो ने इसे अपशगुन की शक्ल दे दी / इससे आपके काम बनाने और न बनने से कोई लेना देना नहीं है हा प्यासे को पानी  जरुर पीला दे आज के समय में लोग प्याऊ लगवाते है और काफी सारे हैंडपंप है यानि कई सुविधाय है आज के समय में इसलिए बाल्टी खाली हो या भरी कोई फर्क नहीं पड़ता है हा अगर घर में छोटा बच्चा है तो उसकी पहुच से भरी बाल्टी जरुर हटा दे /
ॐ नमः शिवाय   

 

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